सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इंदौर के न्यू गवर्नमेंट लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी है।
उन पर दो किताबें ‘सामूहिक हिंसा और आपराधिक न्याय प्रणाली’ और ‘महिला और आपराधिक कानून’ को लेकर हिंदू विरोध को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया था।
डॉ. फरहत खान द्वारा लिखी गई ये किताबें कॉलेज की की लाइब्रेरी में पाई गई।
कोर्ट ने कहा कि एफआईआर के आरोप बेतुके थे, क्योंकि ये किताबें अकादमिक परिषद द्वारा अनुमोदित पाठ्यक्रम का हिस्सा थीं।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और संदीप मेहता की पीठ ने पूछा मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए के वकील से पूछा कि प्रिंसिपल प्रोफेसर इनामुर रहमान के खिलाफ सरकार इतनी उस्तुक क्यों है।
पीठ ने पूछ, “राज्य सरकार को ऐसे मामले में एक अतिरिक्त महाधिवक्ता को पेश करने में दिलचस्पी क्यों है? वह भी कैविएट पर? स्पष्ट रूप से यह उत्पीड़न का मामला लगता है।
याचिकाकर्ता को परेशान करने में रुचि रखता है।” पीठ ने कहा कि हम जांच अधिकारी के खिलाफ नोटिस जारी करेंगे। पीठ ने कहा, “एफआईआर को देखने से पता चलेगा कि यह एक बेतुकेपन के अलावा और कुछ नहीं है। एफआईआर किसी भी अपराध की सामग्री का खुलासा नहीं करती है।”
प्रोफेसर रहमान ने एफआईआर पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करने वाले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।
क्या है पूरा मामला?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एबीवीपी ने कॉलेज की लाइब्रेरी में ‘हिंदूफोबिक’ किताबें होने का दावा करते हुए इसका विरोध किया था। यह दावा किया गया था कि किताबों में से एक ‘सामूहिक हिंसा और आपराधिक न्याय प्रणाली’ में हिंदू समाज में महिलाओं के प्रति व्यवहार पर अशोभनीय बात लिखी गई है।
कॉलेज में एक छात्र की शिकायत के बाद प्रोफेसर रहमान के खिलाफ समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी। दिसंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने रहमान की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
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